Bharat Ka Rashtriya Khel Kaun Sa Hai? जानिए इसके बारे में सबकुछ
भारत एक खेल प्रेमी देश है, जहां विभिन्न प्रकार के खेलों को खेला और सम्मानित किया जाता है। हमारे देश में कुछ ऐसे खेल हैं, जिन्होंने हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा और गौरव दिलाया है, जैसे कि हॉकी, क्रिकेट, कबड्डी, बैडमिंटन, टेनिस, पहलवानी, शूटिंग, बॉक्सिंग, हॉकी, क्रिकेट, कबड्डी, बैडमिंटन, टेनिस, पहलवानी, शूटिंग, बॉक्सिंग, etc. पर क्या आपको पता है कि इनमें से कौन सा खेल हमारा राष्ट्रीय खेल है? क्या हमारे पास कोई ऐसा खेल है, जो हमारी संस्कृति, परंपरा, महत्वपूर्ण मुल्यों को प्रतिबिम्बित करता हो?
हमारे पास कोई राष्ट्रीय खेल है ही नहीं!
हाँ, आपने सही सुना! हमारे पास कोई भी राष्ट्रीय खेल है ही नहीं! 2012 में, मनोहर पर्रिकर सरकार के समक्ष RTI (Right to Information) Act के तहत एक आवेदन दिया गया, जिसमें पूछा गया कि भारत का राष्ट्रीय खेल कौन सा है? इसका जवाब में, सरकार ने बताया कि “भारत सरकार ने किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल के रूप में मान्यता प्रदान नहीं की है” ।
इसका मतलब है कि हमारे पास कोई ऐसा खेल है ही नहीं, जिसे हमारे संविधान, कानून, सरकार, या कोई अन्य प्राधिकरण, हमारे देश का प्रतीक मानता हो। हमारे पास केवल ऐसे खेल हैं, जिन्हें हम पसंद करते हैं, समर्थन करते हैं, और सम्मानित करते हैं।
हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल मानने का प्रचलन
तो, प्रश्न यह है कि हमने हमेशा सुना है कि हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है, परंतु सरकार के मुताबिक, ऐसा कुछ है ही नहीं, तो यह प्रचलन कहाँ से आया?
हॉकी को हमारे देश का प्रमुख खेल मानने का प्रचलन 1928 से 1956 के मध्य में प्रसिद्ध हुआ, जब हमने 6 सुनहरे पदकों (1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956) सहित 8 Olympic Gold Medals (1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956) में
जीते। इस दौरान, हमने दुनिया के सबसे शक्तिशाली टीमों को पराजित किया, जैसे कि जर्मनी, हॉलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, आदि। हमारे हॉकी के महानायकों ने हमें गर्व का अनुभव कराया, जैसे कि मेजर ध्यानचंद, किशनलाल, बालबीर सिंह, उधम सिंह, प्रकाश सिंह, आदि।
हॉकी को हमारे देश का प्रतीक मानने का प्रचलन 1975 में और बढ़ा, जब हमने पहली बार World Cup (1975) में स्वर्ण पदक जीता। हमने पाकिस्तान को 2-1 से हराकर World Cup (1975) में स्वर्ण पदक जीता।
हॉकी का पतन
परंतु, 1980 के बाद से हमारा हॉकी का प्रदर्शन कमजोर होता गया। हमने 1980 में Olympic Gold Medal (1980) जीता, जो हमारा अंतिम सुनहरा पदक था। इसके बाद, हमने कई बार Olympic Games (1984, 1988, 1992, 1996, 2000, 2004, 2008, 2012, 2016) में हिस्सा लिया, परंतु कोई भी पदक नहीं जीत पाए। हमने 2016 में छठे स्थान पर रहे।
हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल मानना
तो, क्या हमें हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल मानना चाहिए? कुछ लोग कहते हैं कि हॉकी हमारे देश की पहचान है, हमारे देश की शान है, हमारे देश की परंपरा है। कुछ लोग कहते हैं कि हमें किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल के रूप में मान्यता प्रदान नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हर खेल में हमारे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व होता है, हर खेल में हमारे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का सम्मान होता है, हर खेल में हमारे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का योगदान होता है।
मेरा विचार यह है कि हमें हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल मानना चाहिए, क्योंकि हॉकी ने हमें दुनिया में पहचान दिलाई है, हॉकी ने हमें दुनिया में सम्मान दिलाया है, हॉकी ने हमें दुनिया में प्रेरणा दी है। हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल मानने से, हम हॉकी के प्रति हमारी समर्पण भावना को प्रकट करते हैं, हम हॉकी के प्रति हमारी स्नेह भावना को प्रकट करते हैं, हम हॉकी के प्रति हमारी आभार भावना को प्रकट करते हैं।
संक्षेप
हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल मानने का प्रस्ताव मुझे सही लगता है, क्योंकि:
- हॉकी में हमने 8 Olympic Gold Medals (1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964, 1980) और 1 World Cup (1975) जीते
- हॉकी में हमने World Cup (2018) में छठे स्थान पर रहे
- हॉकी में हमने Olympic Games (2020) में कांस्य पदक जीता, जो हमारा 41 साल बाद पहला Olympic Medal (2020) था
- हॉकी हमारे देश की पहचान, शान, परंपरा है
- हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल मानने से, हम हॉकी के प्रति हमारी समर्पण, स्नेह, आभार भावना को प्रकट करते हैं
इसलिए, हमें लगता है कि हमें हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल मानना चाहिए।