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Anemia: खून की कमी (एनीमिया): उत्पत्ति, लक्षण और समस्या का समाधान

Anemia: एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जो शरीर में रक्तांतरण के लिए कुशलता धीमी होती है और हमारे रक्त में हेमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है। इस रोग के कारण हमारे शरीर के ऊर्जा स्तर में कमी होती है जिससे थकान, कमजोरी और अनेक समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में हम एनीमिया के प्रमुख पहलूओं को पॉइंट वाइज़ देखेंगे और इस समस्या को घरेलू उपायों से कंट्रोल करने के बारे में जानेंगे।

Anemia के प्रमुख कारण:

  1. खाने की अपर्निति: अनियमित और असंतुलित आहार खाने से हमारे शरीर को उचित पोषण नहीं मिलता है और इसके कारण आवश्यक पौष्टिक तत्वों की कमी होती है। इसमें विटामिन बी१२, फोलिक एसिड, और आयरन की मात्रा कम होने से भी एनीमिया हो सकती है।
  2. खून की हानि: किसी कारणवश यदि खून की हानि होती है, जैसे कि गर्भावस्था, अनुवांशिकता, रक्त संबंधी समस्याएं या अन्य रोगों के कारण, तो भी एनीमिया हो सकती है।
  3. विटामिन सी की कमी: विटामिन सी की कमी के कारण भी रक्त में हेमोग्लोबिन की मात्रा कम हो सकती है। विटामिन सी रक्त में हेमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है।
  4. रसायनिक दवाएं: कुछ रसायनिक दवाओं का अधिक सेवन भी एनीमिया का कारण बन सकता है। इसलिए बिना चिकित्सक की सलाह के कोई भी दवा न लें।

एनीमिया के प्रमुख लक्षण:

थकावट और कमजोरी: एनीमिया के लक्षणों में सबसे सामान्य और प्रभावशाली लक्षण हैं थकावट और कमजोरी। शरीर में रक्त की कमी से ऊर्जा की कमी होती है जिससे हम अक्सर थक जाते हैं और काम करने में आसानी नहीं होती है।

  1. श्वसन की समस्या: एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर श्वसन की समस्या से गुजरते हैं। श्वसन में तेजी, सांस लेने में दिक्कत और श्वसन रोध की समस्या हो सकती है।
  2. त्वचा की सूखापन: एनीमिया के कारण त्वचा और मुख्य रूप से होंठ बहुत सूखे और तैलाहीन हो जाते हैं। यह त्वचा के तेज रूप से पूड़ी हो जाने के कारण होता है।
  3. छाती में दर्द: एनीमिया के प्रमुख लक्षणों में छाती में दर्द भी होता है। रक्त में हेमोग्लोबिन की कमी से हृदय को उचित रूप से काम करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे छाती में दर्द हो सकता है।
  4. चक्कर आना और चिकनाहट: एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर चक्कर आने, चिकनाहट महसूस करने, और भारीपन का अनुभव करते हैं। ये लक्षण अधिक से अधिक शारीरिक काम करने पर हो सकते हैं।

एनीमिया का निदान:

विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा रक्त परीक्षण कराकर एनीमिया का निदान किया जा सकता है। हेमोग्लोबिन की मात्रा जांचने के लिए हेमोग्लोबिन टेस्ट, हेमोटोक्रिट टेस्ट, और पूर्वानुमानीय विश्लेषण (CBC) कराया जा सकता है। इन टेस्टों से एनीमिया के प्रकार और गंभीरता का निर्धारण किया जा सकता है।

एनीमिया का इलाज: आहार बदलाव: एनीमिया के इलाज में उचित पोषण का महत्वपूर्ण योगदान होता है। आहार में फोलिक एसिड, विटामिन बी१२, और आयरन जैसे पौष्टिक तत्वों को शामिल करने से एनीमिया को दूर किया जा सकता है। काले चने, सोयाबीन, ब्रोकोली, बीटरूट, मटर, अंडे, अनाज, और शाकाहारी तत्वों को आपके आहार में शामिल करने से एनीमिया से बचा जा सकता है।

हार्मोनल संतुलन: गर्भवती महिलाओं और युवा किशोरियों में एनीमिया का मुख्य कारण हॉर्मोनल बदलाव होता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह से रक्त परीक्षण करवाना चाहिए और अपने आहार में उचित पोषण शामिल करना चाहिए।

नियमित व्यायाम: योग, ध्यान, और अनुभवी व्यायाम एनीमिया को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। योग और ध्यान से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है जो एनीमिया का मुख्य कारण होता है। व्यायाम से शरीर में रक्त संचय होता है और हेमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है।

सावधानियां: एनीमिया का इलाज कराने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें। चिकित्सा विशेषज्ञ के निर्देशों के अनुसार उचित इलाज करें और उनके द्वारा दी गई दवाओं का सेवन करें। सेल्फ मेडिकेशन से बचें और किसी भी नई दवा का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।

एनीमिया एक सामान्य लागू होने वाली समस्या होती है, लेकिन अगर इसका समय रहते पहचाना और इलाज न किया जाए, तो यह गंभीर रूप धारण कर सकती है। इसलिए, समय-समय पर रक्त परीक्षण कराना और उचित पोषण ध्यान रखना एनीमिया को कंट्रोल करने में मदद करेगा। अपने चिकित्सक की सलाह और निरंतर ध्यान रखकर हम एनीमिया से बच सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें, सदैव स्वस्थ रहें।

डॉ.अश्विनी जैस्वाल
BAMS,MD,आयुर्वेद विशेषज्ञ.

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Categories: Health & Fitness
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