8 August 1942: महात्मा गांधी ने मुंबई (तब बॉम्बे) में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की – ‘भारत छोड़ो आंदोलन’
Embed from Getty Images8 अगस्त 1942 को मुंबई (तब बॉम्बे) में महात्मा गांधी द्वारा ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत की गई थी। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण पर्व को सूचित करता है। गांधीजी ने इस आंदोलन के माध्यम से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीयों को सशक्त करने की पुकार दी। उन्होंने भारतीयों से सत्य, अहिंसा, और साहस के साथ स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने का संकल्प लेने को कहा।
इस आंदोलन से भारतीय समुदाय में उत्साह बढ़ा और एकता की भावना सुदृढ़ हुई। गांधीजी की अगुआई में होने वाले इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को भारतीयों की मांगों को सुनने के लिए मजबूर किया। इसका परिणामस्वरूप, भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की, जिससे ब्रिटिश शासन का अंत हुआ। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में खड़ा है, जिसने भारतीय जनता की आत्मगर्जना और साहस को प्रकट किया।
8 August 1915 – इंडियन राइटर ,भीष्म साहनी का जन्म
Embed from Getty Imagesभारतीय साहित्य के महान व्यक्तियों में से एक, जिनका नाम न केवल उनकी रचनाओं में है बल्कि मानवता के दिलों में भी बसा हुआ है, वो है भीष्म साहनी। उनकी अमूल्य रचनाएँ और उनका जीवनचरित्र वास्तविकता के साथ-साथ अद्वितीयता और प्रेरणा की कहानी है।
भीष्म साहनी का जन्म 8 August, 1915 को लाहौर में हुआ था। उनका शिक्षा से संबंधित सफर भी रोचक है। उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की और उन्होंने फिलहालदीन कॉलेज में भी पढ़ाई की। उनका लेखन संघर्ष और समर्पण की कहानी है, क्योंकि वे स्वतंत्रता संग्राम के समय में भाग ले चुके थे और उनके अनुभवों ने उनके लेखन को और भी गहरा किया।
उनकी पहली उपन्यास ‘तमास’ ने उन्हें भारतीय साहित्य के प्रमुख लेखकों में एक मान्यता प्राप्त कराई। इस उपन्यास में उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास किया है, और उनकी अद्वितीय कल्पना और रचनात्मकता की प्रकटि है।
उनका रचनाकारी सफर सिर्फ उपन्यासों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने नाटकों, कहानियों और लघुकथाओं में भी अपनी विशेषता प्रकट की। उनकी रचनाएँ सामाजिक और मानवीय मुद्दों पर आधारित होती थीं, जिनसे उन्होंने समाज की आलोचना की और लोगों को सोचने पर प्रेरित किया।
भीष्म साहनी का जीवनचरित्र एक प्रेरणास्त्रोत है, जिसने संघर्षों और संकटों का सामना करते हुए भी अपने कलम के माध्यम से समाज को जागरूक करने का काम किया। उनकी अनूठी रचनाएँ हमें आत्म-साक्षात्कार की ओर प्रेरित करती हैं और उनका योगदान साहित्य की विशेष महत्वपूर्णता को प्रमोट करता है।
भीष्म साहनी की अमूल्य रचनाएँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं और उनके जीवन की कई महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाती हैं। उनके उत्कृष्ट लेखन का सच्चा समर्थन और सम्मान उनकी विशेषता को और भी विशेष बनाता है।
“BHISHAM SAHNI was the most soft spoken, most non-violent man I’ve ever known.“ ~ Om Puri
— Film History Pics (@FilmHistoryPic) August 8, 2018
Remembering Bhisham Sahni on birth anniversary – Playwright, actor, known for 'Tamas'.
Here With brother Balraj Sahni in Moscow & with Dina Pathak in ‘Mohan Joshi Hazir Ho’ pic.twitter.com/fnV3uIUE6M