6 August in Indian History

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6 August 2019 -सुषमा स्वराज भारत की पूर्व विदेश मंत्री का निधन…

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6 August-भारतीय राजनीति के महानायिका, सुषमा स्वराज जिन्हें भारत की पूर्व विदेश मंत्री के रूप में जाना जाता था, हमें छोड़कर चली गईं। 6 अगस्त 2019 को उनके निधन से पूरे देश में दुख की लहर उत्पन्न हुई।

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी, 1952 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा और पढ़ाई को दिल्ली के स्थानीय विद्यालयों से पूरा किया। उनके जीवन में एक उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा थी, इसलिए उन्होंने नॉर्मल कालेज, कानपूर में शिक्षिका के रूप में पढ़ाई की।

सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर उत्कृष्ट रहा। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा) में अपनी प्रतिभा को साबित किया और विभिन्न पदों पर सेवा की। 2014 में लोकसभा चुनाव में भा.ज.पा के नेतृत्व में सर्वाधिक सीटों की जीत होने से सुषमा स्वराज को भारत की विदेश मंत्री के रूप में नियुक्ति मिली। उन्होंने विदेशी राजनीति में अपने दमदार नेतृत्व के साथ अपने कामकाज का भी प्रमुख ध्येय बनाया।

सुषमा स्वराज को एक विदेश मंत्री के रूप में याद किया जाएगा, जो अपने कठिनाईयों के बावजूद देश की प्रतिष्ठा और सम्मान का संरक्षण करते रहे। उनके निधन से भारतीय राजनीति ने एक अमूल्य विरासत खो दी है, जो हमेशा से हमारे दिलों में जिंदा रहेगी। उनकी उपलब्धियों को याद करते हुए हमें उनकी आदर्श राजनीतिकता और सेवा भावना को अपने जीवन में समर्पित करना चाहिए।

6 August 1862 – मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना

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1862 का वर्ष भारतीय इतिहास के लिए विशेष महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस साल मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना हुई। यह एक ऐतिहासिक घटना है, जिससे भारत की न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा।

मद्रास उच्च न्यायालय का संचालन चेन्नई, तमिलनाडु की राजधानी में होता है। इस न्यायालय का गठन ब्रिटिश सरकार द्वारा किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य न्यायिक न्यायपालिका की प्रशासनिक और न्यायिक संरचना का प्रबंधन करना था।

मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना ने भारतीय न्यायिक प्रणाली को एक नई पहचान दी और इसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह न्यायालय भारतीय संविधान के अनुसार न्यायिक निर्णय देने और न्यायपालिका की संरचना को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

6 August 1986 को पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ

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दिनांक 6 अगस्त 1986 को पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ था। इस खास अवसर के साथ भारतीय चिकित्सा इतिहास में एक नई प्रेरणा की शुरुआत हुई थी। यह बेबी जो कि मुंबई के जसलोक अस्पताल में पैदा हुआ था, उसका नाम हर्षा शाह था।

टेस्ट ट्यूब बेबी नामक यह नई तकनीक उन जोड़ियों के लिए एक नया द्वार खोल दिया था जिन्हें स्वयं प्राकृतिक रूप से संतान प्राप्त करने में समस्या होती थी। हर्षा शाह का जन्म इस नई प्रक्रिया के माध्यम से हुआ था जो कि अंडाशय के बाहर संचित गर्भाशय के एक झिल्ली को उधेड़कर रोगी माँ के गर्भाशय में प्रत्यारोपण के रूप में उपयोग किया जाता है। यह विशेष चिकित्सा प्रक्रिया डॉ. इंदिरा हिरदेशाई के नेतृत्व में हुई थी और यह सफलता का बिल्कुल नया रास्ता था।

हर्षा का जन्म होने से पहले, संतान न होने की समस्या एक सामान्य चीज नहीं थी। कई जोड़ियाँ अपने जीवन भर माँ बाप बनने के सपने को सजाने के लिए मेडिकल तकनीकों की तलाश में रहती थीं। अपने शारीरिक योग्यता के कारण उन्हें संतान प्राप्त करने में असमर्थ रहना एक पीड़ादायक अनुभव था। लेकिन हर्षा के जन्म से इस समस्या का समाधान मिल गया और इस तकनीक के प्रचलित होने से पूरे विश्व में लाखों ऐसी जोड़ियाँ खुशियों का सामना कर सकीं।

जिस दिन हर्षा का जन्म हुआ था, वह दिन भारतीय चिकित्सा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया। यह न केवल उन वंचित जोड़ियों के लिए एक उत्साह का विषय बना, बल्कि भविष्य में चिकित्सा के क्षेत्र में और भी अधिक विकास और अनुसंधान के प्रोत्साहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

आज, हम हर्षा शाह को नमन करते हैं जिनके जन्म के माध्यम से न सिर्फ उनके माता-पिता की ख्वाहिश पूरी हुई बल्कि एक नया संदेश भी मिला। यह संदेश है कि चिकित्सा विज्ञान की खोज और उन्नति के माध्यम से हम अपने जीवन में खुशियों के नए सफलता सूत्र बांध सकते हैं। हर्षा शाह एक प्रेरणा बने और उनके जन्म के दिन को हमेशा याद किया जाएगा, जो हमें संबल बनाए रखने की शक्ति प्रदान करेगा।

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